स्वीकार नहीं

Ankalan dd/mm/yyyy

स्वीकार नहीं
,   ..............
,   ( 1)
,   स्वीकार नहीं मुझे_
,   वे सपने, जिन्हें दिखाया
,   मेरे अन्नदाताओं ने ।
,   जो करते हैं _
,   मेरे जीते _जागते
,   सपनों का पोस्टमार्टम ।
,   (२)
,   स्वीकार नहीं, मुझे_
,   विरासत में मिला समाज,
,   जो भरा पड़ा है_ ढोंग ,पाखंड,धर्मांधता , अंधविश्वास
,   और अमानवीयता से।
,  जो कर देता मानवता को तार _तार
,   इसके आगे सारे मनुष्य,
,   हो गए हैं_ लाचार।
,   (3)
,   स्वीकार नहीं मुझे_
,  वह शब्द ,भाषा और वह कलम
,   जिस पर खड़ी की जाती है_
,   कविताओं की विशाल इमारत,
,   ताश के पत्तों की भांति।
,   जो रची जाती है_
,   शोहरत और दौलत के लिए,
,   जिस पर खड़ी हो_
,   मैं इतराऊं_
,   और ना ही है _कोई वजह,
,   मेरे इतराने की।
,   ( 4)
,   स्वीकार नहीं मुझे_
,   वह कविता_
,   जो तोड़ चुकी है अपना नाता_
,   मानव सभ्यता और समाज से,
,   और_
,   समाज के सुख-दुख की छांव से।
,   जिसका एकमात्र ठौर है_अर्थ।
,   इसके आगे होती जा रही है _
,   वह व्यर्थ।
,   (5)
,   मैंने गौर किया और पाया कि_
,   कहां पर रहे हैं मेरे हाथ_
,   और हाथ में पड़ी कलाम।
,   और मैंने ध्यान से सुना_
,   और पाया हाफ रही है _
,   मेरी भाषा,
,   अपनी वाचलता,बेकाबू शब्दों_
,   ऊंची आवाज के लिए।
,   किंतु मुझे इसके लिए
,   कोई शर्मिंदगी नहीं....
,   क्योंकि शर्मिंदगी को ज्ञात है कि _
,   वह स्वीकार नहीं...... मुझे।
,  
,  
,  डॉ. शिवास्तिका
,  उच्च माध्यमिक विद्यालय,
,  बड़हरा _महाजी, छपरा।
,  

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