स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्रीपद् नायक को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और प्रभु श्रीरामजी का चित्र किया भेंट
ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद् नायक ने कहा कि स्वामी का सान्निध्य जीवन में याद रखने लायक है।
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,  प्रयागराज : परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज में तीन दिवसीय कल्चर महाकुम्भ का आयोजन किया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डा. साध्वी भगवती सरस्वती , भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी, सायना नेहवाल, एडवोकेट साई दीपक और विख्यात लेखक, साहित्यकार और विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हो रहा है। वेदमंत्रों के उच्चारण व दीप प्रज्वलन के साथ प्रथम दिवस के प्रथम सत्र का शुभारम्भ हुआ।
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,  स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम संगम के पावन तट पर नये संगम का दर्शन कर रहे हैं। यह प्रयाग की धरती से एक प्रयोग है। हमारा हर प्रयोग प्रयाग बने, प्रयाग, संगम की धरती है, ऋषियों की धरती है। हमारे देश में समता, समरसता व सद्भाव का संगम बना रहे, यही प्रयाग का प्रयोग है। यहां हम प्रभाव के लिये नहीं प्रभुभाव के लिये हैं। हमारा ध्येय राष्ट्र प्रथम होना चाहिये। हमारा प्रयास खुद से खुद को पाने का होना चाहिये।
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,  स्वामी ने कहा कि हमारी सभी बाहरी समस्याओं का समाधान संविधान में निहित हैं, परन्तु भीतरी व बाहरी सभी समस्याओं का समाधान हमारी संस्कृति व वेदों में समाहित है। स्वामी जी इस अवसर पर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और आरई (ऋषि इंटेलिजेंस) की सुन्दर व्याख्या की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम भारत को भारत की दृष्टि और भारत के एंगल से देखें।
,  डा. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन संस्कृति की पूरे विश्व को आवश्यकता है क्योंकि इसमें पूरे विश्व की सभी समस्याओं का समाधान समाहित है। भारत की जो शिक्षा है, संस्कृति है उसमें सारी समस्याओं का समाधान समाहित है। उन्होंने विश्व में बढ़ते तनाव, अवसाद, अकेलापन, ग्लोबल वार्मिंग की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इन सब समस्याओं का समाधान हमारे शास्त्रों में समाहित है। आप सभी लोग भारत नहीं, पूरे विश्व को स्पर्श कर रहे हैं, इसलिये आप भारत की संस्कृति, संस्कार और ज्ञान को सब तक पहुँचाने का प्रयास करें। भारत की संस्कृति में तन, मन, दिल और जीवन का इलाज समाहित है।
,  ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद् नायक ने कहा कि स्वामी का सान्निध्य जीवन में याद रखने लायक है। संगम में स्नान करने के बाद राष्ट्रवाद व राष्ट्रभक्ति के संगम में स्नान करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इस अवसर पर उन्होंने आयुष व योग पर चर्चा करते हुए कहा कि आज योग पूरे विश्व में चमक रहा है। सनातन धर्म ने एक जाति व राष्ट्र का विचार नहीं किया बल्कि पूरे विश्व को गले लगाया।
,  कल-चर अर्थात कोई हमारे कल्चर को चर न ले, इसलिये हमें कार्य करना है। स्वामी जी जैसे पूज्य संतों ने ही इस दिव्य संस्कृति को बचाए रखा है। हमें भी इस संस्कृति को बचाने के लिये कार्य करना होगा। भारत की संस्कृति सब को सुखी रखने वाली संस्कृति है। हम सब को मिलकर हमारी संस्कृति को मजबूत रखना है।
,  सायना नेहवाल ने कहा कि देश के लिये हम कुछ भी कर सकते हैं और हम सभी को देश के लिये मेहनत करना है। हमारे देश में बहुत टैलेंट है। बस हमें थोड़ी मेहनत और करनी है। हमारी मेहनत ही हमारा मेडिटेशन है। आप स्वयं अपने दोस्त बने। स्वयं का परीक्षण करें। हम सब मिलकर अपने कल्चर के बारे में पूरे विश्व को दिखा सकते हैं। विश्व के सबसे बड़े मेले को आर्गनाइज करना अपने आप में बहुत बड़ा काम है। इस हेतु उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया। माता-पिता जो अपने बच्चों के लिये करते हैं, वही भारत का कल्चर है।
,  एडवोकेट साई दीपक ने कहा कि भारत के पास शक्ति है कि इस ग्लोब पर जो बर्बाद हो रहा है (प्राकृतिक संसाधन) उस पर बात करे क्योंकि उसका समाधान हमारी सनातन संस्कृति में समाहित है। उन्होंने लोका समस्ता सुखिनो भवन्तु की व्याख्या करते हुए कहा कि भारत पूरे विश्व का लाइट है; उजाला है। भारत ही पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान व उत्तर दे सकता है। सनातन संस्कृति केवल धर्म की बात नहीं करती बल्कि पर्यावरण, राज्य, राष्ट्र और लोक सब की बात करती है।
,  उन्होंने संस्कृति, राष्ट्र व राज्य की व्याख्या करते हुए कहा कि संस्कृति के बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृति है तो संविधान है; संस्कृति रहेगी तो संविधान रहेगा। हमारी संवैधानिक सोच होनी चाहिए। संविधान का सम्मान करें, परंतु नममस्तक नहीं होना है। अगर नतमस्तक होना है तो भगवत गीता व वेदों में सामने होना चाहिए। भारत केवल भारत है, उसे किसी के साथ तुलना करने की जरूरत नहीं है। संविधान और फंडामेंटल रूल्स इस देश की शांति को बनाए नहीं रख सकते, परंतु इसकी संस्कृति ही इसे शांत व सशक्त बनाए रख सकती है। उन्होंने मंत्रशक्ति, इच्छाशक्ति व क्रिया शक्ति की अद्भुत व्याख्या करते हुए कहा कि हम अपनी संस्कृति व परंपराओं को समझें, अपनी जड़ों से जुड़ें, और अपने मूल्यों को समझें।
,  श्री शांतनु गुप्ता जी ने कहा कि अब जो भी कुम्भ होगा और जहां पर भी होगा, उसमें हम पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद से कल्चर कुम्भ का जरूर आयोजन करेंगे।
,  शेफाली वैद्य ने कहा कि कुम्भ में पहले भी शास्त्रार्थ होता था, यह उसी का एक स्वरूप है। आप यहां से उत्तम विचारों को लेकर जाएं।
,  पुष्कर ने कल्चर महाकुम्भ में आये सभी विभूतियों व प्रतिभागियों का अभिनंदन करते हुए धन्यवाद दिया।
,  स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और प्रभु राम जी का चित्र भेंट किया।
,  प्रथम सत्र में भारत का इतिहास सभ्यता से राष्ट्र तक में भारत की ऐतिहासिक निरंतरता, उसकी सभ्यता और आचार-धर्म और कैसे अतीत वर्तमान को आकार देता है पर विस्तृत चर्चा श्री अमृत अभिजात, प्रधान सचिव (शहरी विकास), उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई।
,  भारत की सांस्कृतिक एकता में गणित, मंदिर और आध्यात्मिक आदेशों की भूमिका, कुंभ ने प्रयाग की संस्कृति और इतिहास को कैसे आकार दिया, भारत के पवित्र स्थल - यात्रा मार्गों का मानचित्रण, भारत के तीर्थस्थलों की भूमिका, भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में मीडिया की भूमिका, कैसे भारत की भाषा, संस्कृति और धर्म में विविधता होने के बावजूद, एक साझा सभ्यतागत दृष्टिकोण में यह विविधताएँ एकजुट रहती हैं पर विभूतियों ने अपने विचार विमर्श किये।
,  एडवोकेट, दीपक साई , देवी प्रसाद दुबे, आलंकार तंडन, कृष्ण गुप्ता, शेफाली वैद्य , पुष्कर , नित्यानंद मिश्र, मारिया वेर्थ जी, कंचन गुप्ता , अशोक श्रीवास्तव , प्रखर श्रीवास्तव , दीपक , शंतनु गुप्ता, प्रो. अभय के सिंह, आदिनारायणन, साध्वी दिव्या प्रभा आदि वक्ता और विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।