पुलिसिंग एंड क्राइम ट्रेंड्स इन इंडिया" पुस्तक का इंडिया हेबीटेट सेंटर में विमोचन किया
नई दिल्ली,: केंद्रीय राज्य मंत्री एवं मंत्री हर्ष मल्होत्रा, भाजपा सांसद मनोज तिवारी एवं किरण चौधरी ने 27 जुलाई 2025 रविवार को इंडिया हेबीटेट सेंटर के सिल्वर ओक हॉल में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी दिनेश गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक "पुलिसिंग एंड क्राइम ट्रेंड्स इन इंडिया" पुस्तक का विमोचन किया।
,  इस अवसर पर दिल्ली पुलिस आयुक्त आईपीएस संजय अरोड़ा, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) जी.एस. बाजपेयी, स्पेशल (लॉ एंड ऑर्डर जोन- टू) मधुप तिवारी, स्पेशल सीपी (क्राइम ब्रांच) देवेश चंद्र श्रीवास्तव, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के दोनों जोन के स्पेशल सीपी अजय चौधरी और के. जगदिसन, प्रभात जी और पीयूष जी,प्रभात प्रकाशन, दीपा मलिक (पैरा एथलीट) तथा अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
,  
,  केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, दिल्ली में राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने आईपीएस दिनेश कुमार गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक "पुलिसिंग एंड क्राइम ट्रेंड्स इन इंडिया" की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह स्वतंत्रता-पूर्व भारत में पुलिसिंग और आधुनिक समय में इसके विकास का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है। इस अवसर पर दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने लेखक के व्यापक अध्ययन, गहन समझ और पुलिसिंग को समाज की सेवा के रूप में देखने की प्रतिबद्धता की सराहना की। वहीं प्रो. (डॉ.) जी.एस. बाजपेयी ने पुस्तक को "भारत में पुलिसिंग और हिंसा के विकास पर एक विचारशील, ऐतिहासिक और अनुभवजन्य दृष्टिकोण" कहा। माननीय सांसद मनोज तिवारी एवं प्रभात प्रकाशन के प्रभात जी ने बताया कि यह पुस्तक भारत की पुलिस प्रणालियों और प्रारंभिक काल से लेकर वर्तमान तक बदलते अपराध पैटर्न के प्रति प्रतिक्रियाओं को शामिल करती है। यह पुलिसिंग पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव का एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिसमें जोखिमों और चुनौतियों के विरुद्ध संभावित लाभों का मूल्यांकन किया गया है। इस पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है। पुस्तक विमोचन के बाद, सम्मानित अतिथियों को सम्मान स्वरूप एक पुस्तक और एक पौधा भेंट किया गया। कार्यक्रम का समापन सफलतापूर्वक हुआ, जिसने सभी उपस्थित लोगों के लिए एक यादगार अवसर बना दिया।
,  लेखक का नोट
,  मेरी पुस्तक एक पुलिस अधिकारी के रूप में मेरे सफर का एक चरमोत्कर्ष है। यह मेरे पिता जी की सेवा भाव से प्रेरित है, जो उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में एक विवेकशील पुलिस अधिकारी थे। मेरे पिता जी ने एक पुस्तक लिखी, जो मुझे आज भी प्रेरित करती है। उनके अनुभवों और लेखन ने मुझमें कर्तव्य, दृढ़ता और करुणा की भावना का संचार किया है। मुझे उनके पदचिन्हों पर चलने और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने पर गर्व है। मैं यह पुस्तक अपने दिवंगत माता-पिता जे.आर. गुप्ता और श्रीमती सुशीला गुप्ता) को समर्पित करना चाहता हूं, जिनका साहस और दृढ़ विश्वास मुझे प्रतिदिन प्रेरित करते रहता है। मैं अपने परिवार के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं। मेरी पत्नी, श्रीमती मंजू गुप्ता, इस पूरे सफर में अटूट समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करते हुए मेरा सहारा रही हैं। मेरे बच्चे, अजितेश गुप्ता और खुशी गुप्ता मेरे जीवन में अपार खुशी और प्रकाश लेकर आए हैं और मैं उनकी उपस्थिति के लिए आभारी हूं।
,  दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलएम की पढ़ाई के दौरान, एनएलयू दिल्ली में बिताया गया मेरा समय वाकई काफी परिवर्तनकारी रहा। इसी दौरान मुझे भारत में प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक के अपराध और आपराधिक पैटर्न के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिली। इसी से मेरे मन में पुलिस व्यवस्था और अपराध प्रवृत्तियों पर एक व्यापक पुस्तक लिखने का विचार आया। आज मैं इसे आप सभी के साथ साझा करते हुए बेहद उत्साहित हूं।
,  भारतीय पुलिस के विकास को अलग-अलग चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें वैदिक काल, इस्लामी काल, ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता के बाद का युग शामिल है, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से लेकर आज तक की इसकी यात्रा का संपूर्ण विवरण है। यह पुस्तक समय के साथ प्रचलित अपराधों, जन भावनाओं और पुलिस क्षमताओं में आए बदलावों की पड़ताल करती है। स्वतंत्रता के बाद के अपराध प्रवृत्तियों के विश्लेषण से लेकर समकालीन चुनौतियों पर चर्चा तक, यह पुस्तक भारत में पुलिस व्यवस्था की एक सूक्ष्म समझ प्रदान करती है। मुझे प्राचीन और मध्यकालीन भारत में मौजूद जटिल और लचीली प्रशासनिक प्रणालियों की याद आती है। मौर्य और गुप्त साम्राज्यों से लेकर दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य तक, प्रत्येक काल ने हमारी पुलिस व्यवस्था के विकास में योगदान दिया है। हालांकि, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ही था, जिसका हमारी पुलिस व्यवस्था पर स्थायी प्रभाव पड़ा, जिसने इसे जनता की सेवा के बजाय राज्य के दबाव का एक साधन बना दिया।
,  आज, पुलिस व्यवस्था में साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी से लेकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और आतंकवाद जैसी नई चुनौतियां हमारे सामने हैं। हमारा मौजूदा पुलिसिंग मॉडल तनावपूर्ण है, और यह जरूरी है कि हम इसे नागरिकों पर केंद्रित करने के लिए बदलें और एक सक्रिय और निवारक दृष्टिकोण अपनाएं।
,  लेखक के बारे में
,  दिनेश कुमार गुप्ता एजीएमयूटी कैडर, 2010 बैच के एक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। तीन दशक से अधिक के अपने विशिष्ट करियर के दौरान उनकी दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न पोस्टिंग हुई, जिसमें एसीपी/सब-डिवीजन, एडिशनल डीसीपी ऑपरेशन, स्पेशल ब्रांच शामिल हैं। बतौर डीसीपी अपराध, रेलवे, हवाई अड्डे और शाहदरा जिला की जिम्मेदारी संभाली। अपनी सराहनीय सेवाओं के दौरान कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। जिनमें सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक, पुलिस महानिदेशक प्रशंसा डिस्क (अरुणाचल प्रदेश), पुलिस आयुक्त विशेष प्रशंसा डिस्क (दिल्ली), अरुणाचल प्रदेश में काउंटर इंसर्जेंसी/आंतरिक सुरक्षा ऑपरेशन में पोस्टिंग व तैनाती के लिए पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक शामिल है। इसके अतिरिक्त अरुणाचल प्रदेश के योग्य क्षेत्र में लगातार दो साल की सेवा पूरी करने पर विशेष पुलिस ड्यूटी पदक और कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में नागरिक पुलिस अधिकारी के रूप में तैनात होने के दौरान संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित हुए। लेखक पुस्तक प्रेमी हैं और संगीत सुनने में भी गहरी रुचि रखते हैं।
,