नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 100 दिन में मत्स्यपालन,पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के लिए किये गए महत्वपूर्ण निर्णयों और उपलब्धियों - राजीव रंजन सिंह

Ankalan 18/9/2024

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8% योगदान है: केंद्रीय मंत्री
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,  दूध उत्पादन का मूल्य 2014-15 में 4.96 लाख करोड़ रुपये से 2022-23 में 11.16 लाख करोड़ रुपये तक 125% की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ बढ़ा है: राजीव रंजन सिंह
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,  केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मात्स्यिकी और जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मछली स्वस्थ एनिमल प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक किफायती और समृद्ध स्रोत है, इसमें भूख और कुपोषण को कम करने की अपार क्षमता है ।
,  भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8% योगदान है। वैश्विक स्तर पर, भारत जल कृषि उत्पादन में भी दूसरे स्थान पर है, यह शीर्ष झींगा उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है और तीसरा सबसे बड़ा कैप्चर फिशरीज उत्पादक है। पिछले दस वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए कई परिवर्तनकारी पहल की हैं। कुछ प्रमुख सुधारों पर नीचे प्रकाश डाला गया है ।
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,  अंतर्देशीय और जल कृषि उत्पादन में दोगुनी वृद्धि : अंतर्देशीय और जल कृषि से मत्स्य उत्पादन वित्त वर्ष 1950-51 में मात्र 2.18 लाख टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 131.33 लाख टन हो गया है । अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जल कृषि उत्पादन दोगुना हो गया है, यह वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में 61.36 लाख टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में 131.33 लाख टन हो गया है यानी 69.97 लाख टन की वृद्धि, जो 114% से अधिक है। ये उत्पादन आंकड़े जल कृषि किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में एक शानदार उपलब्धि है। यह रोजगार, आय और उद्यमिता के स्रोत के रूप में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में युवाओं की बढ़ती रुचि को भी दर्शाता है।
,  समुद्री खाद्य निर्यात में दोगुना वृद्धि: वित्त वर्ष 2013-14 से भारत का समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना से भी अधिक हो गया है। वर्ष 2013-14 में समुद्री खाद्य निर्यात 30,213 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बढ़कर 60,523.89 करोड़ रुपये हो गया है । वैश्विक बाजारों में महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इसमें 100% की वृद्धि हुई है। आज, भारतीय समुद्री खाद्य 129 देशों को निर्यात किया जाता है, जिनमें सबसे बड़ा विदेशी बाजार अमेरिका है।
,  खारे पानी के जलीय कृषि उत्पादन में दोगुनी वृद्धि : खारे पानी की जलीय कृषि में झींगा पालन अग्रणी है और हजारों विविध छोटे जलीय कृषि किसानों द्वारा सरकारी परियोजनाओं की सहायता से तैयार की गई एक सफलता की कहानी है। पिछले 9 वर्षों में विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु राज्यों से झींगा पालन और निर्यात में वृद्धि हुई है। इसी तरह, झींगा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में 19,368 करोड़ रुपये से लगभग 107% की वृद्धि के साथ दोगुना से अधिक हो गया है और वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में 40,013.54 करोड़ रुपये हो गया है।
,  राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धन / नेशनल ग्रोस वैल्यू एडेड (जीवीए) और कृषि जीवीए में मात्स्यिकी क्षेत्र की सतत विकास दर और बढ़ा हुआ योगदान : भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होकर राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। भारत में मात्स्यिकी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2021-22 (स्थिर मूल्यों पर) की अवधि के दौरान 8.61% की निरंतर वार्षिक औसत वृद्धि दर दिखाई है। वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान, मत्स्य पालन क्षेत्र का जीवीए वित्त वर्ष 2013-14 में 76,487 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,47,518.87 करोड़ (स्थिर मूल्यों पर) और वित्त वर्ष 2013-14 में 98,189.64 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 (वर्तमान मूल्यों पर) में 2,88,526.19 करोड़ हो गया है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय GVA में 1.069% और कृषि GVA में 6.86% योगदान देता है । वास्तव में, राष्ट्रीय GVA में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में 0.844% से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में 1.069% हो गया है (स्थिर मूल्यों पर)। इसी तरह, कृषि GVA में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में 4.75% से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में 6.86% हो गया है ( स्थिर मूल्यों पर) ।
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,  फिशिंग हारबर्स (एफएच) और फिश लैंडिंग सेन्टर्स (एफएलसी) द्वारा इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित: फिशिंग हारबर्स (FH) और फिश लेंडिंग सेन्टर्स (FLC) फिशिंग वेसल्स के लिए सुरक्षित लैंडिंग, बर्थिंग, लोडिंग और अनलोडिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं। आधुनिक फिशिंग हारबर्स और फिश लैंडिंग सेन्टर्स (एफएलसी) का विकास पोस्ट हार्वेस्ट संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने 9532.30 करोड़ रुपये की कुल लागत से 66 एफएच और 50 एफएलसी के निर्माण/आधुनिकीकरण के लिए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी है ।
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,  प्रौद्योगिकी को अपनाना और लोकप्रिय बनाना: पीएमएमएसवाई के तहत, बायोफ्लोक और रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), पेन और केज कल्चर जैसी कुशल और गहन कृषि तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन तकनीकों का उद्देश्य उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाते हुए उत्पादन की लागत को कम करना है। पिछले 4 वर्षों के दौरान, कुल 52,058 जलाशय केज, 12,081 रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), 4,205 बायोफ्लोक इकाइयां, 1,525 ओपेन सी केज और जलाशयों में 543.7 हेक्टेयर पेन को मंजूरी दी गई है ।
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,  भूमि से घिरे क्षेत्रों में जलीय कृषि पहले असामान्य थी, लेकिन मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों ने उद्यमियों को मत्स्य पालन को अपने प्राथमिक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके लिए, अंतर्देशीय जलीय कृषि के लिए 23,285.06 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र , 'बंजर भूमि को संपदा भूमि में बदलने' के लिए लवणीय-क्षारीय के तहत 3,159.39 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, मीठे पानी के बायोफ्लोक तालाब में पालन के लिए 3,882 हेक्टेयर क्षेत्र, खारे पानी के जलीय कृषि के तहत 1,580.86 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को मंजूरी दी गई।
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,  बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए NASPAAD 2.0, 31 मोबाइल केंद्र और परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, 19 रोग निदान केंद्र, 6 जलीय रेफरल प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई है और RIFD रोग ऐप लॉन्च किया गया है। गुणवत्ता वाले बीज और ब्रूडस्टॉक की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, निजी संस्थाओं द्वारा 5 ब्रूड मल्टीप्लीकेशन सेंटर (BMC), 820 अंतर्देशीय और समुद्री हैचरी और 23 ब्रूड बैंकों को PMMSY के तहत मंजूरी दी गई है और वितरण नेटवर्क को मजबूत किया जा रहा है। उत्पादन प्रणाली में प्रजातियों के विविधीकरण के लिए, देशी प्रजातियों जैसे पी. मोनोडोन , स्कैम्पी, पी. इंडिकस , जयंती रोहू आदि के उत्पादन को रिवाईव करने के प्रयास किए गए हैं, जबकि गैर-देशी प्रजातियों जैसे एल. वन्नामेई , गिफ्ट तिलापिया केपी पालन के लिए डोमेस्टीकेट किया गया है ।
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,  प्रजाति विविधीकरण (स्पीशीस डाईवेरसिफिकेशन): आत्मनिर्भर भारत पहल : इस मुद्दे को संबोधित करने और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए, विभाग ने ICAR-CIBA के माध्यम से पेनेअस इंडिकस (इंडियन वाईट शृंप) के आनुवंशिक सुधार के लिए एक राष्ट्रीय परियोजना शुरू की है। टाईगर शृंप का डोमेस्टीकेशन और पेनेअस मोनोडॉन के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्र अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में शुरू किया जा रहा है। ICAR-CIFA के माध्यम से स्कैम्पी के आनुवंशिक सुधार पर एक राष्ट्रीय परियोजना शुरू की गई है। झींगा में बीमारियों पर कार्य करने के लिए, RGCA-MPEDA को एक एसपीएफ-पॉलीचेट कार्यक्रम को मंजूरी दी गई है। केरल सरकार को करीमीन पर आनुवंशिक सुधार परियोजना के लिए सपोर्ट दिया गया है ।
,  विविध स्थलाकृतियों, मत्स्य संसाधनों और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने क्षेत्र-विशिष्ट जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों को क्रियान्वित किया है, जैसे हिमालयी क्षेत्र में ट्राउट्स का विकास, उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में एकीकृत मछली पालन (इंटीग्रेटेड फिश फ़ार्मिंग) और बील्स आदि। शीत-जल मत्स्य पालन के विकास के लिए, कुल 3,617.99 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 61 ट्राउट हैचरी, 5,711 रेसवे और 60 आरएएस को मंजूरी दी गई है, जबकि एनईआर के विकास के लिए 1,608.44 करोड़ रुपये के निवेश वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है ।
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,  वैकल्पिक आजीविका के अवसरों को सपोर्ट देने के लिए सजावटी मत्स्य पालन और बाइवाल्व (मसल्स, क्लैम्स, पर्ल आदि) की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। 2,672 पालन और एकीकृत सजावटी मत्स्य इकाइयां तथा 2,307 बाइवाल्व खेती इकाइयां स्वीकृत की गई हैं।
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,  तमिलनाडु में समुद्री शैवाल (सी वीड) पार्क: समुद्री शैवाल की खेती की क्षमता का उपयोग करने और तटीय समुदायों विशेष रूप से मछुआरों को अतिरिक्त आजीविका प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने 127.71 करोड़ रुपये के निवेश के साथ तमिलनाडु में एक मल्टीपरपस सी वीड पार्क की स्थापना को मंजूरी दी है। इस पहल का उद्देश्य समुद्री शैवाल की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री (प्लांटिंग मटीरियल्स) के साथ समुद्री शैवाल किसानों को सपोर्ट करना, एक समर्पित प्रयोगशाला के माध्यम से उत्पाद नवाचार को बढ़ावा देना, पानी और सी वीड उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण सुनिश्चित करना और उद्यमियों और प्रसंस्करणकर्ताओं को व्यापक सपोर्ट प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 65,480 मोनोलाइन/ट्यूब नेट और 47,245 राफ्ट मंजूर किए गए हैं, जो आजीविका के अतिरिक्त स्रोत के रूप में सी वीड की खेती को बढ़ावा देंगे।
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,  पोस्ट हार्वेस्ट इनफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 6,694 मत्स्य कियोस्क, 1,091 मत्स्य फ़ीड मिल और संयंत्र, 634 आईस प्लांट्स / कोल्ड स्टोरेज, 202 फिश रीटेल मार्केट्स, 108 वेलयू एडेड एन्टेर्प्राईजेस , 20 आधुनिक होलसेल मार्केट्स स्वीकृत किए गए हैं। लोजीस्टिक इनफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने और छोटे और सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए, आइस बॉक्स के साथ मोटरसाइकिल/साइकिल, ऑटो रिक्शा, रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड ट्रक और लाईव फिश वेंडिंग सेंटर सहित मत्स्य परिवहन सुविधाओं की 27,189 इकाइयों को मंजूरी दी गई है।
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,  मत्स्य स्टॉक बढ़ाने के लिए आर्टिफ़िशियल रीफ़्स और सी रेंचिंग: प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, विभाग ने तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मत्स्य स्टॉक को बहाल करने सी रेंचिंग और आर्टिफ़िशियल रीफ़्स लगाने की परियोजना को मंजूरी दी है, ताकि परंपरागत मछुआरों और छोटे पैमाने के मछुआरों के लिए मछली की उपलब्धता बढ़ाई जा सके। अब तक आंध्र प्रदेश, गुजरात, लक्षद्वीप, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 291.37 करोड़ रुपये की परियोजना लागत पर 937 आर्टिफ़िशियल रीफ़्स स्थापित करने को मंजूरी दी गई है ।
,  प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस): दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी विकलांगता के लिए 5 लाख रुपये , आकस्मिक स्थायी आंशिक विकलांगता के लिए 2.5 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती होने पर 25,000 रुपये का बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है। इससे पहले नीली क्रांति योजना के तहत, दुर्घटना बीमा मृत्यु या स्थायी पूर्ण विकलांगता के लिए 2 लाख रुपये, आंशिक स्थायी विकलांगता के लिए 1 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के लिए 10,000 रुपये प्रदान किया जाता था। पीएमएमएसवाई के कार्यान्वयन के पिछले चार वर्षों (2021-22 से 2023-24) और वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 131.30 लाख मछुआरों के बीमा कवरेज के लिए 64.50 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसमें सालाना औसतन 32.82 लाख मछुआरे शामिल हैं। परिणामस्वरूप, अब तक प्राप्त 1438 दावा प्रस्तावों में से 874 दावों का निपटारा किया जा चुका है, जिसके तहत 40.30 करोड़ रुपये पर दावों का निपटान हुआ है।
,  वार्षिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान आजीविका और पोषण सहायता: पीएमएमएसवाई के तहत, सरकार वार्षिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान आजीविका और पोषण सहायता प्रदान करती है। पीएमएमएस के कार्यान्वयन के पिछले चार वर्षों (2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान, औसतन 5.94 लाख मछुआरों को सालाना आजीविका और पोषण सहायता प्रदान की गई, जिसका कुल परिव्यय 1,384.79 करोड़ रुपये था, जिसमें 490.84 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा (शेयर) शामिल था ।
,  मत्स्यपालन सहकारी समितियों और मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (FFPO) की सामूहिकता को बढ़ावा देने और सौदेबाजी की शक्ति (बरगेनिंग पावर) को बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। PMMSY के तहत कुल 2195 FFPO की स्थापना और मजबूती के लिए SFAC, NAFED, NCDC और NFDB जैसी कार्यान्वयन एजेंसियों को लगाया गया है।
,  तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और सीएए नियम, 2024 भारत में तटीय जलकृषि क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य विनियामक व्यवस्था को सरल बनाकर व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ जलकृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में विविधीकरण को प्रोत्साहित करना था। संशोधन के प्रमुख प्रावधानों में तटीय जलकृषि गतिविधियों को अनुमति देने के लिए तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) विनियमों को स्पष्ट करना शामिल है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से छोटे जलकृषि किसानों को सपोर्ट देना है। यह राजस्व सृजन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए समुद्री केज की खेती और समुद्री शैवाल की खेती जैसे तटीय जलकृषि के नए, पर्यावरण के अनुकूल रूपों को बढ़ावा देता है और स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए सुरक्षित जलकृषि उत्पादों को बढ़ावा देने वाली वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर बल देता है ।
,  व्यवसाय करने में आसानी (ईओडीबी): मत्स्य पालन विभाग ने तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण (सीएए) द्वारा अनुमोदित विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से झींगा ब्रूड स्टॉक के आयात के लिए झींगा हैचरी द्वारा मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार से सैनिटरी इम्पोर्ट परमिट (एसआईपी) प्राप्त करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। इससे देश में सैकड़ों झींगा हैचरी को काफी लाभ हुआ है क्योंकि अब उन्हें अनुमति प्राप्त करने के लिए दिल्ली आने की आवश्यकता नहीं है जिससे लागत और समय की बचत हो रही है। तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र को ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है। व्यवसाय करने में आसानी को सक्षम करने और तिलापिया खेती के त्वरित विस्तार की सुविधा के लिए, विभाग ने भारत में अनुमोदित स्रोतों से ब्रूड स्टॉक प्राप्त होने की स्थिति में तिलापिया हैचरी की स्थापना और संचालन के लिए अनुमति जारी करने की शक्ति राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को सौंप दी है।
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,  समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा के लिए फिशिंग वेसल्स पर वेसेल कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम का नेशनल रोलआउट : भारत सरकार ने PMMSY के तहत, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के माध्यम से एक लाख फिशिंग वेसल्स पर उपग्रह-आधारित वेसेल कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम स्थापित करने के लिए 364 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इस तकनीक को अंतरिक्ष विभाग के इसरो द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। ये उपकरण समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, जिससे वे अपने परिवारों से जुड़े रह सकेंगे, चक्रवातों और तूफानों के दौरान सहायता मांग सकेंगे और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास मछली पकड़ते समय अलर्ट प्राप्त कर सकेंगे। इस पहल की पूरी लागत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाएगी, और मछुआरों को ये उपकरण निःशुल्क प्रदान किए जाएंगे।
,  फरवरी 2024 में 6000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सेह योजना (PM-MKSSY) को मंजूरी दी गई थी और इसका उद्देश्य 2025 तक मत्स्य किसानों, मत्स्य विक्रेताओं सहित मत्स्य क्षेत्र के सूक्ष्म उद्यमों और छोटे उद्यमों को कार्य-आधारित पहचान प्रदान करने के लिए एक नेशनल फिशेरीस डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) बनाकर असंगठित मात्स्यिकी क्षेत्र को संगठित रूप देना है। एनएफडीपी का शुभारंभ किया गया और पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 11 सितंबर 2024 को पीएम-एमकेएसएसवाई के परिचालन दिशानिर्देशों को जारी किया गया । एनएफडीपी के माध्यम से PM-MKSSY संस्थागत ऋण की पहुंच और प्रोत्साहन, जलीय कृषि बीमा की खरीद, एफएफपीओ बनने के लिए सहकारी समितियों को मजबूत करने, ट्रेसबिलिटी को अपनाने, मूल्य-श्रृंखला दक्षता और सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन और रोजगार सृजन वाली प्रथाओं को अपनाने के लिए निष्पादन अनुदान की सुविधा प्रदान करेगा ।
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,  मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार, क्षेत्रीय भागीदारी, स्थिरता, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सजीव है । भारत, मत्स्यपालन विभाग के माध्यम से IMO-FAO: "ग्लोलिटर" पार्टनरशिप प्रोजेक्ट में प्रमुख भागीदार देश (LPC) के रूप में भाग ले रहा है, जिसका उद्देश्य मत्स्य पालन और शिपिंग क्षेत्रों में समुद्री कूड़े को रोकना और कम करना है तथा मात्स्यिकी क्षेत्र पर जोर देते हुए दोनों क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग में कमी के अवसरों की पहचान करना है। फरवरी 2024 में ग्लोलिटर भागीदारी परियोजना के तहत, भारत ने समुद्र के संदर्भ में समुद्री प्लास्टिक कूड़े (एसबीएमपीएल) के प्रबंधन और रोकथाम के लिए अपनी राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी: 2024-2026) प्रकाशित की ।
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,  केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के नेतृत्व में सागर परिक्रमा यात्रा नामक मछुआरों तक पहुंचने का एक अनूठा कार्यक्रम मार्च 2022 से गुजरात से पश्चिम बंगाल तक एक पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत के समुद्र तट के लगभग 8000 किलोमीटर को कवर करना है। यात्रा का मुख्य उद्देश्य मछुआरों से उनके घर-घर जाकर मिलना और उनकी समस्याओं और शिकायतों को समझना, व्यावहारिक नीतिगत निर्णय लेने के लिए प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया प्राप्त करना, स्थायी मछली पकड़ने को बढ़ावा देना और सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों का प्रचार करना है। 12 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 44 दिनों की समर्पित यात्रा में 82 जिलों में से 80 तटीय जिले, 3477 में से 3071 मत्स्यन गाँव और 8118 किलोमीटर में से 7986 किलोमीटर की तटीय यात्रा की गई है ।
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,  उपरोक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप, मत्स्य पालन क्षेत्र में विभिन्न जमीनी सफलता की कहानियाँ हासिल हुई हैं, जिनसे अन्य मूल्य श्रृंखला हितधारकों, महिलाओं, युवाओं और नए प्रवेशकों (न्यू एन्ट्रेंट्स को इस क्षेत्र का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद है। विभाग का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024-25 के पीएमएमएसवाई लक्ष्यों को पार करके और 2030 में 200 लाख टन से अधिक और 2047 में 400 लाख टन से अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करके विकसित भारत@2047 के लक्ष्य के तहत नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान पहलों को बढ़ाना है। इसी तरह, वैश्विक मत्स्य निर्यात हिस्सेदारी 2030 तक >5% और 2047 तक >8% होने की परिकल्पना की गई है। इससे समुद्री कृषि, केज कल्चर, आरएएस, बायोफ्लॉक्स, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मत्स्य पालन, विपणन सुविधाओं, कोल्ड स्टोरेज, आर्टिफ़िशियल रीफ़्स आदि के लिए खेती के अंतर्गत इकाइयों के क्षेत्र और संख्या का विस्तार करके वर्तमान प्रौद्योगिकी और संसाधन क्षमता के उपयोग को और बढ़ाने की उम्मीद है, साथ ही प्रजातियों के विविधीकरण और गुणवत्ता वाले ब्रूड और बीज, आनुवंशिक सुधार कार्यक्रमों और हैचरी के नेटवर्क को भी बढ़ाया जा रहा है।
,  विकसित भारत@2047 योजना के अनुरूप, विभाग ने अपनी 5-वर्षीय प्राथमिकता वाली योजनाएं और गतिविधियां तैयार की हैं, जो इस क्षेत्र के लिए अपेक्षित ध्यान और प्रोत्साहन प्रदान करेंगी । मौजूदा सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर पिछले 1 महीने में कई नई पहल शुरू की गई हैं और उनकी घोषणा की गई है ।
,  इन नियोजित पहलों को प्रधानमंत्री के शीर्ष स्तर पर सपोर्ट मिला है क्योंकि उन्होंने 30 अगस्त 2024 को पालघर (महाराष्ट्र) में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था और 1200 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था और 364 करोड़ रुपये के निवेश के साथ वेस्सल कम्यूनिकेशन एंड सपपोर्ट सिस्टम के नेशनल रोलाऊट का शुभारंभ किया था।
,  इसके बाद, 11 सितंबर 2024 को पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर कई नई पहल शुरू की गई हैं। NFDP और 100 क्लाईमेट रेसीलीयन्ट कोस्टल फिशिंग विल्लेजस के शुभारंभ के अलावा, निम्नलिखित गतिविधियाँ भी शामिल हैं:
,  बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं, नवाचार और बाजार संपर्कों को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन और प्रसंस्करण क्लस्टरों का विकास। प्राथमिकता के आधार पर विकसित किए जाने वाले तीन क्लस्टर झारखंड के हजारीबाग जिले में पर्ल, तमिलनाडु के मदुरै में ओर्नमेंटल फिशरीस और लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल के लिए हैं।
,  प्रजाति विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पोम्पानो, स्ट्राईप्ड मुर्रेल, पर्ल स्पॉट और सी वीड (ग्रेसीलेरिया) की स्वदेशी प्रजातियों के लिए आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम
,  मीठे जल की जलकृषि प्रजातियों जैसे मुर्रेल, कार्प, पेंगबा, पाब्दा, सिंघी और सरना तथा खारे जल की जलकृषि और समुद्रीकृषि प्रजातियों जैसे एशियाई सीबास, मड क्रैब, पोम्पानो और पर्ल स्पॉट को बढ़ावा देकर स्थानीय जैव विविधता का संरक्षण और संवर्धन करना।
,  मीठे जल (फ्रेश वाटर) की प्रजातियों के लिए ICAR-CIFA, भुवनेश्वर और समुद्री प्रजातियों के लिए ICAR-CMFRI, मंडपम केंद्र के अधिसूचित नोडल संस्थानों के माध्यम से गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेन्टर्स (एनबीसी) की स्थापना।
,  3 स्मार्ट और इंटीग्रेटेड फिशिंग हारबर्स को 369.80 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ दमन और दीव में वनकबारा, गुजरात के कच्छ जिले में जखाऊ और पुडुचेरी में कराईकल में स्मार्ट सुविधाओं के साथ मंजूरी दी गई है। ये सेंसर, डेटा एनालिटिक्स, IoT डिवाइस, सैटेलाइट संचार, ड्रोन एक्सेस कंट्रोल आदि जैसी उन्नत तकनीकों का लाभ उठाकर फिशिंग वेसेल्स के लिए कुशल और सुचारू संचालन की सुविधा प्रदान करेंगे और पर्यावरण के अनुकूल और उपयुक्त प्रथाओं के अनुप्रयोग को प्राथमिकता देंगे।
,  असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा राज्यों में मत्स्य संसाधनों का उपयोग करने और रोजगार सृजन के लिए 179.81 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ एंड टु एंड वैल्यू चेन सोल्यूशन्स के लिए 5 इंटीग्रेटेड एक्वा पार्कों को मंजूरी दी गई है।
,  अरुणाचल प्रदेश, सिलीचर (कछार जिला, असम) राज्यों में 45.39 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मछलियों के स्वच्छ और सुरक्षित रख-रखाव, अपशिष्ट को कम करने आदि के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ 2 विश्व स्तरीय मत्स्य बाजारों को मंजूरी दी गई है ।
,  नवाचार और अनुसंधान एवं विकास के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए, 3 मत्स्य पालन इनक्यूबेशन सेन्टर्स अर्थात् राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद, ICAR –सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीस एडुकेशन, मुंबई और ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीस टेकनोलोजी, कोच्चि को स्टार्टअप और एफएफपीओ को बढ़ावा देने और सलाह देने के लिए नामित किया गया है। इसके अलावा, ICAR-CMFRI, मंडपम केंद्र को समुद्री शैवाल के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में अधिसूचित किया गया है। केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (ICAR-CMFRI) के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र को समुद्री शैवाल की खेती और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में अधिसूचित किया गया है और यह अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए वन स्टॉप सोल्यूशन के रूप में यह कार्य करेगा ।
,  प्रमुख गतिविधियों में पीएमएमएसवाई के तहत 364 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पोत संचार और सहायता प्रणाली के राष्ट्रीय रोलआउट का शुभारंभ शामिल है, जिसके तहत 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100,000 मछली पकड़ने वाले जहाजों पर मुफ्त में ट्रांसपोंडर लगाए जाएंगे। पोत संचार और सहायता प्रणाली का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अगस्त 2024 को पालघर (महाराष्ट्र) में किया था। यह मत्स्य पालन क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, जो मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो-तरफ़ा संचार, संभावित मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करके प्रयासों और संसाधनों की बचत करेगा और किसी भी आपात स्थिति और चक्रवात के दौरान मछुआरों को सचेत करेगा। यह तकनीक मछुआरों को समुद्र में रहने के दौरान उनके परिवारों और मत्स्य विभाग के अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ रखेगी।
,  उपर्युक्त के अनुरूप, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार परिकल्पित परियोजनाओं को सफलता से सम्पूर्ण और कमीशनिंग को सुनिश्चित करने, विकसित भारत 2047 योजना के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र को टिकाऊ (सस्टेनेबल), न्यायसंगत (ईक्यूटेबल) और समावेशी (इंक्लूसिव) तरीके से विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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,  केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है। यह वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 के दौरान 9.82% की सीएजीआर से बढ़ा और यह देश के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र के जीवीए में पशुधन का योगदान वर्ष 2014-15 में 24.36 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.22% हो गया है। पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2022-23 में कुल जीवीए का 5.5% प्रतिशत योगदान दिया (राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के अनुसार)। पशुधन क्षेत्र का उत्पादन मूल्य वर्ष 2022-23 के दौरान चालू मूल्य पर 17.25 लाख करोड़ रुपये (205.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। अकेले दूध के उत्पादन का मूल्य 11.16 लाख करोड़ रुपये (133.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है जो कृषि उपज में सबसे अधिक है तथा धान और गेहूं के संयुक्त मूल्य से भी अधिक है।
,  उन्होंने बताया कि दूध उत्पादन के मूल्य में उल्लेखनीय वृ‌द्धि हुई है, जो वर्ष 2014-15 में 4.96 लाख करोड़ रुपये से 125% बढ़कर वर्ष 2022-23 में 11.16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पशुपालन क्षेत्र 100 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवारों को आजीविका सहायता प्रदान करता है। पिछले 9 वर्षों में दूध उत्पादन में 57.62% की वृ‌द्धि हुई है, जो वर्ष 2014-15 के दौरान 146.3 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2022-23 के दौरान 230.60 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। पिछले 9 वर्षों में दूध का उत्पादन 5.9% की वार्षिक वृ‌द्धि दर से बढ़ रहा है और जबकि विश्व दूध उत्पादन प्रति वर्ष 2% की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2022-23 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि वर्ष 2022- 23 के दौरान विश्व औसत 325 ग्राम प्रतिदिन का है। प्रति व्यक्ति उपलब्धता वर्ष 2013-14 में 307 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन से बढ़कर 2022-23 में 459 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन हो गई है, जो 49.51 प्रतिशत की वृ‌द्धि दर्शाती है।
,  राजीव रंजन ने बताया कि देश में अंडे का उत्पादन वर्ष 20014-15 में 78.48 बिलियन अंडों से 76.32% बढ़कर 138.38 बिलियन अंडे हो गया है। अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 62 अंडे से बढ़कर वर्ष 2022-23 में प्रति व्यक्ति वर्ष 101 अंडा हो गई। पिछले 9 वर्षों के दौरान, गोपशुओं और भैंसों की औसत उत्पादकता वर्ष 2013-14 के दौरान प्रति वर्ष 1648.17 किलोग्राम प्रति पशु से 27% बढ़कर वर्ष 2021-22 में 2079 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो दुनिया में उच्चतम उत्पादकता वृद्धि दर है।
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,  केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन दिसंबर 2014 में विशेष रूप से वैज्ञानिक समग्र तरीके से देशी बोवाइन नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के तहत हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
,  कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार किसानों के दरवाजे पर एआई सेवाएं मुफ्त में दी गई। अब तक 7.53 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, 9.15 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किया गया है और कार्यक्रम के तहत 5.4 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।
,  देश में पहली बार बोवाईन आईवीएफ को बढ़ावा दिया गया है और देश में आईवीएफ तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 22 आईवीएफ / ईटी लैब परिचालित किया गया है।
,  देश में पहली बार 90% सटीकता के साथ बछड़ियों के उत्पादन के लिए देशी नस्लों हेतु सेक्स सॉर्टेड सीमेन उत्पादन की सुविधा तैयार की गई है,
,  5 सरकारी सीमेन स्टेशनों पर सेक्स सॉर्टेड सीमेन उत्पादन का सृजन किया गया है और देश में 100 लाख सेक्स सॉर्टेड सीमेन की खुराक का उत्पादन किया गया है। निजी क्षेत्र में 3 सीमेन स्टेशन (मेहसाणा डेयरी, बीएआईएफ और चितले डेयरी) हैं।
,  डीएनए आधारित चयन के लिए जीनोमिक चिप विकसित की गई है और इस चिप के साथ ही उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले पशुओं को कम उम्र में चुना जाता है। जीनोमिक चयन की विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए एनबीएजीआर, एनआईएबी और एनडीडीबी के पास उपलब्ध आंकड़ों के संयोजन के बाद सामान्य चिप विकसित की गई है।
,  किसानों के दरवाजे पर प्रजनन इनपुट देने के लिए ग्रामीण भारत में बहुउ‌द्देशीय एआई तकनीशियनों (मैत्री) को शामिल किया गया है। पिछले 3 वर्षों में 38736 मैत्री शामिल किए गए हैं।
,  पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने "भारत पशुधन" नामक डेटा बेस विकसित किया है। यह डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र दिनांक 2 मार्च 2024 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इस प्रणाली ने बेहतर लक्ष्य सुनिश्चित करते हुए हमारे किसानों को योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाया है। भारत पशुधन में पशुधन रोगों की रोकथाम, भविष्यवाणी, प्रतिक्रिया और उपचार के लिए एकीकृत रोग निरीक्षण और निगरानी प्रणाली है। वर्तमान में क्षेत्र अधिकारियों और श्रमिकों द्वारा 50 करोड़ से अधिक लेनदेन प्रणाली में दर्ज किए गए हैं।
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,  केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि महिलाएं अब सहकारी सदस्यों का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा हैं। सहकारी डेयरी क्षेत्र में दूध प्रसंस्करण क्षमता में उल्लेखनीय वृ‌द्धि देखी गई है, जो 555.63 लाख लीटर प्रति दिन (वर्ष 2014-15 में) से लगभग दोगुनी होकर 1033 लाख लीटर प्रति दिन (वर्ष 2023-24 में) हो गई है, और इसी तरह, दुतशीतन क्षमता को भी इसी अवधि के दौरान 391 लाख लीटर प्रति दिन से बढ़ाकर 819 लाख लीटर प्रति दिन कर दिया गया है। मूल्य वर्धित उत्पादों की हिस्सेदारी में भी वृ‌द्धि देखी गई है, जो इसी अवधि के दौरान 20% से बढ़कर 30% हो गई है। इसके अलावा, दुधारू पशु के भोजन और पोषण की मांग को पूरा करने के लिए प्रति दिन 2447 मीट्रिक टन की क्षमता वाले 87 पाउडर संयंत्र, प्रति दिन 21,000 मीट्रिक टन की प्रसंस्करण क्षमता वाले 80 पशु चारा संयंत्र भी हैं।
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,  केंद्रीय मंत्री रंजन ने बताया कि सरकार ने अब तक खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्टे डेस पेटिट्स रोमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन ज्वर (सीएसएफ) के लिए टीकाकरण कार्यक्रम कार्यान्वित किया है तथा अब तक एफ़एमडी हेतु 85 करोड़ टीकाकरण किया गया है, जिससे देश भर में 7.09 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं। ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत लगभग 3.92 करोड़ बछड़ों और बछड़ियों को ब्रुसेलोसिस के लिए टीका लगाया गया, अब तक 14.66 करोड़ पशुओं को पीपीआर और 55 लाख से अधिक पशुओं को क्लासिकल स्वाइन ज्वर के लिए टीका लगाया जा चुका है।
,  पहली बार भारत सरकार पूरे देश में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की स्थापना कर रही है। पशुपालन कार्यकलापों में लगे 10 करोड़ किसानों को उनके घर पर पशुधन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। 27 राज्यों में 3165 एमवीयू प्रचालनरत हैं।
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,  केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि वर्ष 2019 में, पहली बार सरकार ने पशुपालन किसानों हेतु किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधाओं का विस्तार किया है ताकि उन्हें उनकी कार्यशील पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल सके। आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में, वर्ष 2020 में 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) लॉन्च किया गया था। एएचआईडीएफ डेयरी, प्रजनन, मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्रों की स्थापना के लिए अवसंरचना की स्थापना में निवेश की सुविधा प्रदान करता है। एएचआईडीएफ की सफलता को ध्यान में रखते हुए, पूर्ववर्ती डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास निधि को दिनांक 01.02.2024 को एएचआईडीएफ में मिला दिया गया है। अब निधि का कुल आकार 29110 करोड़ रु. है। आज की तारीख तक योजना के अंतर्गत 11,500 करोड़ रुपए की परियोजना लागत से कुल 420 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं।
,  उन्होंने बताया कि सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन कार्यान्वित कर रही है जिसका लक्ष्य कुक्कुट, भेड़, बकरी, आहार और चारा विकास के साथ-साथ नस्ल सुधार का उद्यमशीलता विकास करना है। मिशन पशुधन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए घोड़े, गधे, खच्चर और ऊंट पर भी ध्यान केंद्रित करता है। जोखिम शमन के लिए योजना के तहत पशुधन बीमा के लिए सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है।
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