नव-सृजन का पर्व बसंत पचंमी पर 14 साल बाद बना लक्ष्मी-रवि योग
आज सोमवार को बसंत पंचमी महापर्व पर 14 साल बाद लक्ष्मी व रवि योग का दिव्य संयोग बना है। साथ ही उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का संयोग भी है, जो इससे पहले 2004 में बना था। इस दिन मां सरस्वती का प्राकट्य होने से उनकी जगह-जगह पूजा-अर्चना की जाएगी।
,  बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन कौमुदी उत्सव मनाया जाता है। आज पंचम तिथि का संयोग विद्या व बुद्धि के लिए लाभकारी है। इस दिन सरसों की कटाई भी शुरू हो जाती है और मौसम में बदलाव होने लगता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने और पीले खाद्य पदार्थ खाने का महत्व है। पंचमी पर शहर में स्थित सरस्वती मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। मंदिरों में अन्नप्रासन्न और अक्षर आरंभ की प्रक्रिया भी कराई जाएगी।
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,  ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय ने बताया कि बसंत ऋतु शुरू होते ही मंदिरों में ठाकुर जी की पोशाक बदल जाती है। हीटर, अंगीठी बंद होने के साथ-साथ गर्म कपड़े भी हटा लिए जाते हैं। बसंत पंचमी से शयन और खानपान के समय भी बदलाव होता है। मंदिरों में भजन, कीर्तन, अनुष्ठान के कार्यक्रम भी होंगे। स्वयं सिद्धि योग होने से सावे, गृह प्रवेश, खरीद फरोख्त भी लाभकारी रहेगा।