विश्व वानिकी दिवस - 21 हजार परिवारों ने पेड़ों को बनाया "हरित सदस्य"
बीकानेर। पर्यावरण पर लगातार बढ़ते खतरे को भांपते हुए विश्व वानिकी दिवस पर पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान की धरती से एक वैश्विक मुहिम की शुरआत हुई हैI
,  विश्व मौसम संगठन की स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2023 रिपोर्ट के अनुसार बीते साल में लू, बाढ़, सूखा, जंगल की आग और तेजी से बढ़ते उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने सालभर तबाही मचाई क्योंकि 2023 में धरती के सतह के तापमान में वृद्धि, समुद्र की गर्मी, अम्लीकरण व बर्फीले ग्लेशियरों के पिघलने के सारे रिकॉर्ड टूट गए। हमारे मौसम का यह डरावना रूप भविष्य के बड़े खतरे की आहट है I संयुक्त राष्ट्र द्वारा "लैंड फ़ॉर लाइफ अवॉर्ड" से सम्मानित व पारिवारिक वानिकी के प्रणेता प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी की अगुवाई में 21 हजार परिवारों ने फलदार पौधों को अपने -अपने घरों में रोपित करते हुए उन्हें परिवार का हरित सदस्य बनाकर इस मुहिम का आगाज किया I बीकानेर तहसील के रेगिस्तानी गांव बम्बलू में हरोजी के समाधि स्थल पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में सैंकड़ों ग्रामीणों ने हरित शपथ लेते हुए फलदार पौधों को अपने-अपने परिवारों का हरित सदस्य बनाया I इस अवसर पर प्रोफेसर ज्याणी ने बताया कि पांच सौ साल पहले पर्यावरण चिंतक देव जसनाथ जी ने अपने हाथ से जाल का वृक्ष रोपित करके जिस हरित क्रिया का आह्वान किया था आज उस क्रिया को सामूहिक स्तर पर अपनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है I इसी बात को पिछले बीस साल से जमीनी स्तर पर पारिवारिक वानिकी मुहिम के जरिए आगे बढाते आ रहे ज्याणी ने इसे वैश्विक स्वरूप प्रदान करने के इरादे से इस अभियान को आहूत किया हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन का संकट वैश्विक है लिहाज़ा इसका मुकाबला भी सबको मिलकर करना पड़ेगा I बकौल ज्याणी, आज विश्व वानिकी दिवस पर हमने प्रदेश के विभिन्न जिलों, कुछ अन्य राज्यों व भारत से बाहर अमेरिका, कनाडा, इंग्लैड में एक साथ 'अवर ग्रीन मेंबर्स' नाम से इस अभियान का आगाज़ किया हैं जो कि साल 2030 तक लगातार चलाया जाएगा I भारत में इस मुहिम को हम राम रुँख अभियान नाम से संचालित कर रहे हैं और इसे वैश्विक स्तर पर ले जाने हेतु आज 21 हजार परिवार अवर ग्रीन मेम्बर्स मुहिम से जुड़े हैं 2030 तक एक अरब पेड़ों को परिवार, गाँव, शैक्षिक व अन्य तरह के संस्थानों, खेतों और सभी तरह की सावर्जनिक भूमि पर रोपित करवाते हुए हरित सदस्य के रूप में पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है I
,  ज्याणी के अनुसार इन एक अरब पेड़ों में पचास फीसदी फलदार पेड़ होंगें और बाकी के स्थानीय किस्मों के देसज पेड़ I फलदार पेड़ जहां जैव विविधता वृद्धि, कुपोषण से मुकाबले व आय के स्रोत के रूप में उपयोगी होते हैं वहीं देसज पेड़ स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए कई तरह से लाभदायक हैं I उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर ज्याणी पिछले दो दशक में 16 लाख से अधिक परिवारों को पारिवारिक वानिकी से जोड़कर 40 लाख से ज्यादा वृक्षारोपण करवा चुके हैं व 200 जंगल इनकी अगुवाई में विकसित किए जा चुके हैं ज्याणी के अनुसार इस मुहिम में उनके विद्यार्थियों के अलावा लाखों स्कूली विद्यार्थी, शिक्षक व ग्रामीण युवा मिलकर सामूहिक रूप से प्रयासरत है ज्याणी की टीम हर साल जन पौधशालाओं में दो से तीन लाख पौधे अपने स्तर पर तैयार करके निःशुल्क उपलब्ध करवाती हैं I इस मुहिम के मद्देनजर जन पौधशालाओं की संख्या व क्षमता का विस्तार किया जा रहा है ताकि अधिकाधिक पौधे तैयार किए जा सके I
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